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एपीडा ने जैविक कपास प्रमाणन पर आरोपों को किया खारिज 

Source : business.khaskhabar.com | July 27, 2025 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 apeda rejects allegations on organic cotton certification 739768नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के तहत जैविक कपास प्रमाणन में अनियमितताओं के संबंध में एक विपक्षी नेता द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है। 
 

एपीडा ने स्पष्ट किया कि हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान किए गए दावे निराधार, अप्रमाणित और भ्रामक थे और ये भारत की मजबूत नियामक प्रणाली की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।

वाणिज्य विभाग द्वारा 2001 में शुरू किया गया एनपीओपी, निर्यात के लिए भारत का आधिकारिक जैविक प्रमाणन कार्यक्रम है।

इसे एपीडा द्वारा कार्यान्वित किया जाता है और यह एक सख्त तृतीय-पक्ष प्रमाणन प्रक्रिया का पालन करता है। इस प्रणाली को यूरोपीय संघ और स्विट्जरलैंड के मानकों के समकक्ष माना गया है और ब्रिटेन द्वारा भी इसे स्वीकार किया गया है, साथ ही ताइवान के साथ भी एक पारस्परिक मान्यता व्यवस्था लागू है।

जैविक कपास उत्पादन केवल मध्य प्रदेश तक सीमित होने और सीमित संख्या में किसान समूहों से जुड़े होने के आरोपों पर टिप्पणी करते हुए, एपीडा ने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है।

एनपीओपी 19 जुलाई तक 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 4,712 सक्रिय जैविक उत्पादक समूहों को कवर करता है, जो अनाज, दलहन, तिलहन, चाय, कॉफी, मसाले और कपास सहित विभिन्न फसलों का उत्पादन करने वाले लगभग 19.3 लाख प्रमाणित किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

एपीडा ने यह भी स्पष्ट किया कि कपास केवल उत्पादन चरण तक ही एनपीओपी के अंतर्गत आता है।

जिनिंग और प्रसंस्करण जैसी उत्पादन-पश्चात प्रक्रियाओं को एनपीओपी के तहत नहीं, बल्कि अलग-अलग निजी प्रमाणन के तहत नियंत्रित किया जाता है।

एनपीओपी के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपए की सब्सिडी मिलने के दावों को भी एपीडा ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि न तो वाणिज्य विभाग और न ही एपीडा इस कार्यक्रम के तहत ऐसी कोई वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, एनपीओपी में जांच की एक बहुस्तरीय प्रणाली है। प्रमाणन निकाय, सरकारी और निजी दोनों, खेतों का वार्षिक ऑडिट और निरीक्षण करते हैं।

ये आगे एपीडा द्वारा समन्वित अनाउंस्ड ऑडिट के माध्यम से राष्ट्रीय प्रत्यायन निकाय (एनएबी) द्वारा निगरानी किए जाते हैं ।

अनुपालन न करने या कदाचार के किसी भी मामले की गहन जांच की जाती है और दोषी प्रमाणन निकायों या उत्पादक समूहों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाती है।
--आईएएनएस

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