भारत में प्रौद्योगिकी कंपनियों के कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की गिरावट
Source : business.khaskhabar.com | Jun 05, 2021 | 

नई दिल्ली। एक ओर जहां कोविड-19 महामारी बीमारी, मृत्यु और आर्थिक
गतिविधियों में गिरावट जैसी नकारात्मकता लेकर आई है, वहीं इसकी वजह से कुछ
सकारात्मक चीजें भी देखने को मिली हैं और इसने वित्त वर्ष 2020-21 में भारत
के 194 अरब डॉलर के आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी उद्योग को कार्बन उत्सर्जन
कम करने की ओर अग्रसर किया है। शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह
खुलासा हुआ है।
मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी अनअर्थइनसाइट की एक
रिपोर्ट से पता चला है कि महामारी ने आईटी, आईटीईएस, इंजीनियरिंग,
जीआईसी/जीसीसी और स्टार्टअप सहित आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी कंपनियों से
कार्बन उत्सर्जन में 85 प्रतिशत की कमी की है।
इस कमी का अर्थ है
पूर्व-महामारी के स्तर से लगभग तीन लाख टन कार्बन उत्सर्जन में गिरावट। अगर
सालाना आधार पर देखें तो यह गिरावट 20 लाख टन है।
कार्बन उत्सर्जन
में गिरावट का कारण कोविड-प्रेरित वर्क फ्रॉम होम (दफ्तर जाए बिना घर से
काम), डिजिटल प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और डिजिटल कैंपस हायरिंग
प्लेटफॉर्म को अपनाने जैसे कारकों को बताया गया है।
आउटसोसिर्ंग
उद्योग द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 में 2.9 अरब डॉलर की तुलना में वित्त
वर्ष 2020-21 में यात्रा लागत, यात्रा लागत और अंतराष्र्ट्ीय यात्रा पर
केवल 75 करोड़ डॉलर खर्च किए गए हैं। शीर्ष पांच आईटी सर्विस कंपनियों -
टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल, विप्रो और टेक महिंद्रा - ने वित्त वर्ष 2021 में
यात्रा लागत पर लगभग 37 करोड़ डॉलर खर्च किए, जो वित्त वर्ष 2020 में 1.4
अरब डॉलर की तुलना में 75 प्रतिशत कम है।
वहीं फिलहाल आउटसोसिर्ंग
उद्योग में लगभग 44 लाख कर्मचारियों में से केवल चार से पांच प्रतिशत
कर्मचारी ही काम के लिए यात्रा कर रहे हैं। वैश्विक और घरेलू आईटी फर्मों
के कर्मचारियों और परिवारों के पूर्ण टीकाकरण के बाद अनुमानित 20 प्रतिशत
से 25 प्रतिशत कर्मचारी अगले साल की शुरूआत में काम पर वापस आ जाएंगे।
महामारी
के बाद (अगले वर्ष के मध्य) एआई ट्रांसपोर्टेशन टेक प्लेटफॉर्म के साथ-साथ
इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तैनाती अधिक देखने को मिलेगी। तकनीकी कंपनियों
का लक्ष्य 2025 तक ईवी पर लगभग 5 प्रतिशत कर्मचारी यात्रा को 25 प्रतिशत
से 30 प्रतिशत तक ले जाना है।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि
उपभोक्ता-ग्रेड अनुभव के साथ भविष्य की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रा की
जरूरतों से बचने के लिए डिजिटल उपकरणों को अपनाने से भी कार्बन उत्सर्जन कम
करने में मदद मिलेगी।
अनअर्थइनसाइट के संस्थापक और सीईओ गौरव वासु
ने एक बयान में कहा, आउटसोसिर्ंग उद्योग कोविड से पहले भी हाइब्रिड वकिर्ंग
मॉडल, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने की राह पर था। हालांकि महामारी और
डिजिटल उपकरणों/प्रौद्योगिकी को तेजी से अपनाने के परि²श्य को नाटकीय रूप
से बदल दिया है और आज कार्बन उत्सर्जन में कमी लंबे समय तक टिकाऊ दिखती है।
इसके
अलावा, रिपोर्ट से पता चला है कि कोविड ने बड़े उद्योग के दिग्गजों को
डिजिटल कैंपस हायरिंग प्लेटफॉर्म जैसी तकनीकों को तैनात करने के लिए
प्रेरित किया, जिससे देश भर में 1,000 से अधिक परिसरों की यात्रा के संदर्भ
में उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आई है।
2025 तक,
प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए 75 प्रतिशत कैंपस हायरिंग उन्नत एंड-टू-एंड
डिजिटल प्लेटफॉर्म/टूल्स के माध्यम से होने की उम्मीद है। यह अन्य टियर-1
और टियर-2 आईटी फर्मों को भी देश भर से स्नातक प्रतिभाओं को आकर्षित करने
के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने के लिए मजबूर करेगा।
वासु ने कहा कि
कोविड-19 व्यवधान ने आउटसोसिर्ंग संगठनों, ग्राहकों और कर्मचारियों को
पर्यावरण के अनुकूल बना दिया है, जिससे उन्हें कार्बन उत्सर्जन में कमी और
डिजिटल कार्यस्थल की ओर अपनी यात्रा में तेजी लाने में मदद मिली है।
इस तरह से आने वाले समय में कार्बन उत्सर्जन में कमी के आसार बनते दिखाई दे रहे हैं।
अनअर्थइनसाइट
की ओर से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए किए गए अध्ययन में भारत में लगभग
2,000 से अधिक आउटसोसिर्ंग प्रौद्योगिकी कंपनियां शामिल रहीं। निष्कर्ष
कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट, प्राथमिक शोध और अनअर्थइनसाइट डेटाबेस पर
आधारित हैं। (आईएएनएस)
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