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सेकंड-हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले इन तीन महत्वपूर्ण बातों का रखें ध्यान, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

Source : business.khaskhabar.com | Nov 22, 2025 | businesskhaskhabar.com Automobile News Rss Feeds
 before buying a second hand electric car keep these three important things in mind otherwise you may suffer a huge loss 769774नईदिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। बड़ी संख्या में लोग ईवी की ओर रुख कर रहे हैं, जिसके चलते सेकंड-हैंड इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। हालांकि EV तकनीक नई होने के कारण कई खरीदार अब भी इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि पुरानी इलेक्ट्रिक कार खरीदते समय किन बातों पर ध्यान देना चाहिए। 
यह भी सच है कि इलेक्ट्रिक कारें मूल्यह्रास (डिप्रिसिएशन) में पारंपरिक पेट्रोल-डीजल कारों की तुलना में ज्यादा तेजी से अपनी कीमत खोती हैं, जिसका सबसे बड़ा कारण है बैटरी की स्थिति और उसकी ऊंची लागत। ऐसे समय में सही जानकारी ही खरीदार को सुरक्षित और समझदारी भरा निर्णय लेने में मदद कर सकती है। 
सेकंड-हैंड EVs की कीमतें क्यों गिरती हैंः इलेक्ट्रिक वाहनों में तकनीक अत्यधिक गति से विकसित हो रही है। हर साल मार्केट में ऐसे मॉडल आ जाते हैं जिनकी रेंज ज्यादा, फीचर्स उन्नत और बैटरी बेहतर होती है। नतीजतन पुराने मॉडल जल्दी अप्रचलित लगने लगते हैं। यही कारण है कि सेकेंड-हैंड ईवी की कीमत तेजी से नीचे जाती है और कई बार असल वैल्यू से भी काफी कम पर बिकती है। यदि आप एक पुरानी इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो यह समझना बेहद जरूरी है कि तकनीक की तेजी से बदलती दिशा उसके मूल्य पर गहरा असर डालती है। 
बैटरी वारंटी: खरीद का सबसे महत्वपूर्ण आधार किसी भी सेकंड-हैंड इलेक्ट्रिक कार को खरीदने से पहले बैटरी वारंटी के बारे में विस्तृत जानकारी लेना अनिवार्य है। अधिकांश वाहन निर्माता कंपनियां बैटरी पर 8 साल तक की वारंटी देती हैं, लेकिन यह वारंटी अक्सर पहले मालिक तक सीमित होती है। रीसेल के बाद कई बार यह सुरक्षा कवच खत्म हो जाता है। ऐसी स्थिति में खरीदार को भविष्य में बैटरी रिप्लेसमेंट या खराबी का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ सकता है, जो लाखों रुपये तक पहुंच सकता है। इसलिए खरीदने से पहले यह स्पष्ट करें कि वारंटी अभी भी वैध है या नहीं। 
बैटरी हेल्थ: ईवी का असली दिल इलेक्ट्रिक कार का प्रदर्शन सीधे उसकी बैटरी हेल्थ पर निर्भर करता है। आमतौर पर बैटरी हर वर्ष 2 से 5 प्रतिशत तक अपनी क्षमता खोती है। इसलिए पुरानी EV खरीदते समय उसकी बैटरी की स्वास्थ्य रिपोर्ट (Battery Health Report), चार्ज साइकिल, तापमान स्थितियों में उपयोग और निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) तिथि को अच्छी तरह जांचना आवश्यक है। अगर गाड़ी अत्यधिक गर्म क्षेत्रों में ज्यादा चलाई गई है या बार-बार फास्ट चार्जिंग का इस्तेमाल हुआ है, तो इसकी बैटरी लाइफ पर असर पड़ सकता है। बेहतर रहेगा कि आप बैटरी की असली स्थिति की विश्वसनीय जांच किसी प्रमाणित सर्विस सेंटर या विशेषज्ञ से करवा लें। 
बैटरी रेंटल मॉडल (BaaS): एक नया विकल्प कई इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता अब Battery-as-a-Service (BaaS) की सुविधा भी दे रहे हैं, जिसमें बैटरी को कार से अलग किराये पर प्रदान किया जाता है। इस मॉडल में खरीदार वाहन की बैटरी के लिए प्रति किलोमीटर या मासिक शुल्क के आधार पर भुगतान करता है, जिससे बैटरी खराब होने का जोखिम काफी कम हो जाता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सुविधा कई बार केवल नए ग्राहकों पर लागू होती है। सेकंड-हैंड खरीदार के लिए यह विकल्प उपलब्ध है या नहीं, इसकी पुष्टि कंपनी या अधिकृत डीलर से करना बेहद जरूरी है। इससे भविष्य में होने वाले अनावश्यक खर्च से बचाव हो सकता है। 
पुरानी इलेक्ट्रिक कार खरीदना निश्चित रूप से एक अच्छी डील साबित हो सकता है, लेकिन केवल तभी जब आप तकनीकी पहलुओं और बैटरी से जुड़ी वास्तविक स्थिति की सही जांच कर लें। बैटरी वारंटी, बैटरी हेल्थ और बैटरी रेंटल जैसे कारक सेकंड-हैंड ईवी के संपूर्ण मूल्य और आने वाले खर्च को निर्धारित करते हैं। इसलिए जल्दबाजी में निर्णय लेने के बजाय पूरी जानकारी के साथ ही अपनी पसंद तय करें।

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