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अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ के ऎतिहासिक समझौते का स्वागत किया

Source : business.khaskhabar.com | Nov 28, 2014 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 US welcomes historic WTO deal with India on boardवाशिंगटन। अमेरिका ने, खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम को लेकर भारत के साथ महीनों से जारी गतिरोध के बाद नई दिल्ली की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए ऎतिहासिक बहुपक्षीय समझौते पर पहुंचने के लिए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का स्वागत किया है। जेनेवा में गुरूवार को डब्ल्यूटीओ के 160 सदस्यों ने व्यापार सुविधा समझौते (टीएफए) को मंजूरी दे दी, जिसका लक्ष्य अनुमानित 10 खरब डॉलर वार्षिक बचत के लिए सीमा शुल्क प्रक्रिया को सरल बनाना है। डब्ल्यूटीओ के 20 साल के इतिहास के इस प्रथम बहुपक्षीय व्यापार समझौते टीएफए को बाली समझौते के नाम से भी जाना जाता है। इस समझौते ने इस महीने के प्रारंभ में अमेरिका और भारत के बीच नई दिल्ली के खाद्य भंडारण कार्यक्रम को लेकर एक "शांति व्यवस्था" पर बनी सहमति के रास्ते के एक ब़डे रो़डे को साफ कर दिया है।

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि माइकल फ्रोमैन ने एक बयान में कहा, "डब्ल्यूटीओ ने जुलाई से पैदा हुए गतिरोध को दूर कर एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया है। मैं इस बात से खुश हूं कि अमेरिका एक ऎसा दृष्टिकोण बनाने के लिए भारत और डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्यों के साथ अब काम कर पाएगा, जो पिछले साल बाली मंत्रीस्तरीय सम्मेलन में लिए गए निर्णयों की भावना के अनुरूप होगा।" फ्रोमैन ने कहा कि अमेरिका ने हाल ही में गतिरोध दूर करने के लिए भारत के साथ काम किया था। यह गतिरोध एक जुलाई को उस समय पैदा हुआ था, जब डब्ल्यूटीओ के सदस्यों के एक छोटे समूह ने टीएफए के लिए नियमों में संशोधन को मंजूर नहीं होने दिया था।

फ्रोमैन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ महापरिषद ने गुरूवार को उन निर्णयों को मंजूरी दे दी, जो अमेरिका और भारत के बीच स्वीकृत दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडारण पर एक निर्णय शामिल है, जिसमें यह स्पष्ट है कि एक "शांति प्रावधान" तबतक जारी रहेगा जबतक कि इस तरह के कार्यक्रमों का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल जाता और उसे मंजूरी नहीं मिल जाती। यह शांति प्रावधान कुछ निश्चित सार्वजनिक भंडारण कार्यक्रमों को कानूनी चुनौती दिए जाने से बचाएगा। फ्रोमैन ने कहा कि टीएफए में वैश्विक सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में मौलिक सुधार करने और वस्तुओं के सीमा पार जाने में लगने वाले समय और आने वाली लागत को घटाने की संभावना मौजूद है।"" उन्होंने कहा कि यह इस बात का सटीक उदाहरण है कि व्यापार के अवरोधों को समाप्त करने से विकसित और विकासशील देशों के लिए किस तरह और कितने नए अवसर खुल सकते हैं, और यह सभी देशों के खासतौर से छोटे कारोबारों की महत्वपूर्ण जीत है।

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