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विदेशी संकेतों से तय होगी घरेलू शेयरों की चाल

Source : business.khaskhabar.com | Mar 18, 2018 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 foreign signals will decide the move of domestic shares 301331नई दिल्ली। पिछले हफ्ते जिन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों का असर घरेलू शेयर बाजारों पर दिखा, उनमें से ज्यादातर घटनाओं का प्रभाव अभी टला नहीं है और इस हफ्ते भी उनका असर बना रहेगा। साथ ही, विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के आर्थिक आंकड़ों और अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक के नतीजों से अंतर्राष्ट्रीय शेयर बाजारों पर पडऩे वाले प्रभाव से भी भारत अछूता नहीं रहेगा। अमेरिकी मुद्रा डॉलर के विरुद्ध देसी मुद्रा रुपये की चाल और कुछ कंपनियों के नए निवेश प्रस्ताव लाने से घरेलू शेयर बाजार में थोड़ी हलचल जरूर रहेगी। इसके अलावा कुछ तकनीकी व मनोवैज्ञानिक असर भी रहेंगे।  

देश के शेयर बाजारों की चाल अगले हफ्ते विदेशी बाजारों के संकेतों से तय हो सकती है, क्योंकि अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों के आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक भी आगामी सप्ताह होने जा रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अडिय़ल रवैये से दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच परस्पर निजी हितों को लेकर व्यापारिक जंग छिडऩे की आशंका बनी हुई है। ट्रंप की ओर से इस्पात के आयात पर 25 फीसदी और अल्युमीनियम के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की अधिघोषणा पर हस्ताक्षर करने के बाद कुछ अन्य वस्तुओं के आयात पर भी शुल्क लगाने की बात कही गई है। इससे यूरोपीय संघ, जापान और चीन नाराज हैं और वे अमेरिकी आयात नीति के विरुद्ध विश्व व्यापार संगठन में आपत्ति दर्ज कराने वाले हैं।

अमेरिकी आयात नीति से भारत भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि ऑटो व ऑटो पाट्र्स के आयात पर शुल्क बढऩे से भारतीय कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ सकता है।

 इसके अलावा अमेरिकी डॉलर के प्रति रुपये की चाल, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और घरेलू संस्थागत निवेश का भी घरेलू शेयर बाजारों पर असर रहेगा। फेडरल रिजर्व की बैठक होने जा रही है, जिससे डॉलर की चाल के साथ-साथ विदेशी शेयर बाजारों की भी दिशा तय होगी और उसका असर भारतीय शेयर बाजारों पर भी दिखेगा।

फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय बैठक 20-21 मार्च को होगी, जिसमें ब्याज दर बढ़ाने को लेकर विचार किया जा सकता है। अमेरिकी श्रम बाजार के मजबूत आंकड़ों और स्थिर महंगाई दर से अमेरिकी केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दर बढ़ाने की राह सुगम हो सकती है।  

मालूम हो कि फेडरल रिजर्व इस साल तीन बार ब्याज दरों में वृद्धि की संभावना जता चुका है। उधर, मार्च महीने में यूरोजोन के आर्थिक रुझान को लेकर एक सर्वेक्षण के नतीजे 20 मार्च को आने आने वाले हैं। इसका भी असर दुनिया भर के शेयर बाजारों पर हो सकता है।

इसके अलावा जापान में निक्की फ्लैश मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) डाटा 22 मार्च को आएगा। उसी दिन यूराजोन का भी पीएमआई डाटा आएगा और यूरोपीय परिषद की बैठक शुक्रवार को होने वाली है।

सबसे अहम बात यह कि वित्त वर्ष 2017-18 की समाप्ति का महीना होने के कारण शेयर बाजार में विकवाली हावी है। इसकी सबसे बड़ी वजह अगले वित्त वर्ष शेयर से होने वाली आमदनी पर दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ कर यानी लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजीटी) लगेगा, जिससे निवेशकों में घबराहट बढ़ सकती है।

पिछले हफ्ते भारतीय शेयर बाजार पर जिन राष्ट्रीय घटनाक्रमों का असर रहा, उनमें तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोडऩा और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा की हार प्रमुख हंै।

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से वचन पत्र यानी एलओयू और साख पत्र जारी करने की परंपरा समाप्त करने से भी शेयर बाजार पर असर दिखा और इसका प्रभाव आगे भी रहेगा।

बंबई स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स बीते शुक्रवार को पिछले सप्ताह के मुकाबले 131.14 अंकों यानी 0.39 फीसदी की गिरावट के साथ 33,176.00 पर बंद हुआ। वहीं नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित सूचकांक निफ्टी 31.70 अंकों यानी 0.31 फीसदी की गिरावट के साथ 10,195.15 पर बंद हुआ। (आईएएनएस)

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