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कपास की बुआई में सुधार से रूई बाजार में छायी मंदी

Source : business.khaskhabar.com | Aug 20, 2018 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 grim downturn in cotton market to improve cotton cultivation 335475नई दिल्ली। गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र में पिछले सप्ताह हुई बारिश के बाद कपास की बुआई में तेजी आई है। गुजरात में पिछले साल के मुकाबले इस साल कपास का रकबा करीब एक फीसदी बढ़ गया है। कारोबारियों के मुताबिक, अच्छी फसल होने की उम्मीदों से इस सप्ताह घरेलू बाजार में रूई के दाम में गिरावट आई है।

गुजरात शंकर-6 (एमम-29) कॉटन (रूई) का भाव शनिवार को पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले 200 रुपये की गिरावट के साथ 48,200-48,600 रुपये प्रति कैंडी (356 किलो) था। कॉटन की कीमतों में पिछले सप्ताह के मुकाबले इस सप्ताह करीब 500 रुपये प्रति कैंडी की गिरावट आई।

रूई बाजार के जानकार मुंबई के गिरीश काबड़ा ने बताया कि पिछले सप्ताह देश के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में मौसमी दशाओं में सुधार होने से इस साल अच्छी फसल होने की संभावना बढ़ गई है जिससे रूई बाजार में सुस्ती का माहौल है।

घरेलू वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर शुक्रवार को कॉटन का अक्टूबर वायदा 250 रुपये यानी 1.06 फीसदी की गिरावट के साथ 23,280 रुपये प्रति गांठ (170 किलो) पर बंद हुआ। एमसीएक्स पर कॉटन वायदा अगस्त महीने के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। हालांकि भाव पिछले महीने के सबसे निचले स्तर के मुकाबले अभी भी 1,000 रुपये प्रति गांठ अधिक है। इससे पहले 31 जुलाई को कॉटन वायदा 22,280 रुपये प्रति गांठ पर बंद हुआ था।

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को कॉटन वायदा 0.45 फीसदी की गिरावट के साथ 81.43 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ।

गुजरात के कृषि विभाग की ओर से इस सप्ताह जारी बुआई के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में कपास का रकबा 26.74 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में गुजरात में कपास का रकबा 26.51 लाख हेक्टेयर था।

प्रदेश के एक कारोबारी ने बताया कि गुजरात देश में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है और पिछले सप्ताह तक यहां कपास का रकबा कम था, लेकिन हालिया बारिश के बाद बुआई जोर पकड़ी और रकबे में सुधार आया है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि रूई के दाम में सुस्ती देखी जा रही है।

गिरीश काबरा ने कहा कि वायदा कारोबार में मंदी की वजह मुनाफावसूली भी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक तनाव से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रूई में मंदी छाई हुई है। पिछले सप्ताह तक हालांकि भारतीय हाजिर बाजार पर इसका ज्यादा असर नहीं था, क्योंकि भारतीय रूई में आगे मांग बढऩे की संभावना जताई जा रही थी। विदेशी बाजार में कीमतों पर आए दवाब से रूई के आयात की संभावना दिख रही है, इसलिए भी घरेलू बाजार में सुस्ती का माहौल है।

(आईएएनएस)

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