भारत के पोर्ट्स बदल रहे हैं, इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी मॉडल से मिल रही वैश्विक पोर्ट्स को टक्कर
Source : business.khaskhabar.com | Aug 22, 2025 | 
नई दिल्ली। भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर आज एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिसमें ‘इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी’ (ITU) मॉडल एक गेमचेंजर बनकर उभरा है। यह एक ऐसा एकीकृत नेटवर्क है, जो पोर्ट, रेल, सड़क, हवाई मार्ग और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को एक साथ जोड़ता है, जिससे माल और लोगों की आवाजाही पहले से कहीं ज्यादा तेज और किफायती हो गई है। इस बदलाव की अगुवाई अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) कर रहा है, जिसकी पहल भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि वैश्विक पोर्ट्स के मुकाबले में भी ला खड़ा कर रही है।
अदाणी पोर्ट्स: भारत का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स नेटवर्क एपीएसईजेड ने पूरे देश में अपने पोर्ट्स को रेल और सड़क कनेक्टिविटी से जोड़कर आईटीयू मॉडल का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है। गुजरात का मुंद्रा पोर्ट डबल ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड रेलवे और दो स्टेट हाईवे से जुड़ा है, जबकि ओडिशा का धामरा पोर्ट देश की सबसे लंबी 62.5 किमी की रेल लाइन से लिंक है। इसी तरह, कृष्णपट्टनम और गंगावरम जैसे अन्य पोर्ट भी मजबूत रेल और सड़क नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी से बदला काम का तरीका अदाणी के पोर्ट्स पर डिजिटल सिस्टम और आधुनिक तकनीक का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है। यहां रियल टाइम रेक ट्रैकिंग, ऑटोमेटेड कंटेनर डिपो मैनेजमेंट और स्मार्ट गेट मैनेजमेंट जैसी सुविधाएं पूरी तरह से डिजिटली नियंत्रित हैं। यह टेक्नोलॉजी और ऑटोमेशन ही है जो एपीएसईजेड को सरकारी पोर्ट्स जैसे जेएनपीटी और अन्य निजी पोर्ट्स से काफी आगे खड़ा करता है, जहाँ अभी भी रेक प्लेसमेंट और कंटेनर ट्रैकिंग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
दुनिया से मुकाबला, बराबरी का हो रहा है आईटीयू मॉडल और उन्नत तकनीक के कारण भारतीय पोर्ट्स अब टर्नअराउंड टाइम, कार्बन एमिशन में कमी और डिजिटलाइजेशन जैसे प्रमुख मापदंडों पर शंघाई, सिंगापुर और रॉटरडैम जैसे दुनिया के सबसे व्यस्त पोर्ट्स को टक्कर देने लगे हैं। यह दर्शाता है कि भारत का पोर्ट सेक्टर अब वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता साबित कर रहा है।
हालांकि, जमीन अधिग्रहण और विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय जैसी कुछ चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। लेकिन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और नीतियों में सहयोग से इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है, जिससे भारत का पोर्ट भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।
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