विदेशी बाजारों में निरंतर तेजी से सरसों सीड के भाव बढ़े
गौरतलब है कि विदेशी बाजारों में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है। मलेशिया में जनवरी महीने का पाम तेल वायदा हाल ही तेजी में चल रहा है। चीन और अमेरिकी बाजारों में भी मजबूती देखी जा रही है। चीन का बाजार डालियन स्टॉक एक्सचेंज पर सबसे सक्रिय सोया तेल वायदा और पाम तेल वायदा तेजी लेकर बंद हुए हैं। अमेरिका की बात करें तो वहां पर भी तेजी का रुख बना हुआ है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल वायदा मजबूती दर्ज की गई है। काफी लोगों के मन में यह जिज्ञासा बनी हुई है कि क्या सरसों के भाव फिर से 7000 रुपए प्रति क्विंटल को क्रॉस करेंगे।
चावल उत्पादन बढ़कर 12 करोड़ टन पहुंचने की उम्मीद, पैदावार 5.9 फीसदी बढ़ने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा
स्थानीय सूरजपोल मंडी स्थित फर्म जगदीश नारायण रतनलाल सिंघल एंड संस के मनोज सिंघल ने बताया कि मानसूनी बारिश सामान्य से अधिक होने और धान की रोपाई का रकबा बढ़ने की वजह से चावल उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। सिंघल ने कहा कि चावल उत्पादन बेहतर रहने से इसके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और केन्द्र सरकार को इसके कारोबार पर फिर से प्रतिबंध नहीं लगाना पड़ेगा, जिसे हाल ही में समाप्त कर दिया गया है।
ब्याह शादियों की डिमांड से मिल्क पाउडर 20 रुपए किलो महंगा
उधर तमिलनाडु फैडरेशन में भी दूध पाउडर के भाव बढ़ाकर बोले जा रहे हैं। महान मिल्क फूड्स लिमिटेड का बंगाल टाइगर एसएमपी वर्तमान में 320 रुपए प्रति किलो थोक में बेचा जा रहा है। कंपनी प्रवक्ता का कहना है कि महान मिल्क फूड्स क्वांटिटी में नहीं क्वालिटी में विश्वास करती है। लिहाजा कंपनी बंगाल टाइगर दूध पाउडर बनाने में क्वालिटी से समझौता नहीं करती है।
हिताची को नोएडा में सीआरसी द फ्लैगशिप के लिए एलिवेटर्स और एस्केलेटर्स की 56 यूनिट्स का ऑर्डर मिला
हिताची, लिमिटेड (टीएसई: 6501, बाद में हिताची) की सहायक कंपनियों, हिताची
बिल्डिंग सिस्टम्स कंपनी लिमिटेड और हिताची लिफ्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
ने एलिवेटर्स और एस्केलेटर्स की 56 यूनिट्स के लिए सफलतापूर्वक ऑर्डर हासिल
किया है।
मंडियों में नए तिल की आवक शुरू, कीमतों में आई गिरावट
बुंदेलखंड इसका प्रमुख उत्पादन क्षेत्र है। चीन, कोरिया तथा अन्य यूरोपीय देशों में तिल्ली का सबसे ज्यादा निर्यात होता है। भारत में मकर संक्रांति के मौके पर तिल्ली की खपत सबसे ज्यादा होती है। तिल्ली की नई फसल आते ही गजक एवं रेवड़ी का कारोबार शुरू हो जाता है। रेवड़ी में सफेद तिल का इस्तेमाल अधिक मात्रा में देखा जाता है।