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जेम प्लेटफॉर्म पर 11.25 लाख एमएसई ने हासिल किए 7.44 लाख करोड़ रुपए के सरकारी ऑर्डर : केंद्र  

Source : business.khaskhabar.com | Dec 22, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 1125 lakh msmes secured government orders worth rs 744 lakh crore on gem platform centre 777783नई दिल्ली । गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस यानी जेम (जीईएम) भारत के छोटे व्यवसायों के लिए एक प्रमुख प्लेटफॉर्म बन गया है। अब तक 11.25 लाख से अधिक छोटे एवं सूक्ष्म उद्योगों (एमएसई) ने सरकारी ऑर्डर प्राप्त किए हैं, जिनकी कुल कीमत 7.44 लाख करोड़ रुपए है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रविवार को यह जानकारी साझा की। 
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जेम प्लेटफॉर्म ने एमएसई, महिला उद्यमियों, एससी/एसटी वर्ग के व्यवसायों और स्टार्टअप्स को सरकारी ठेके के लिए सीधे प्रतिस्पर्धा करने का मौका दिया है।
मंत्रालय ने बताया कि एमएसई ने अब तक जेम पर कुल ऑर्डर का 44.8 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया है, जो सरकार द्वारा तय किए गए 25 प्रतिशत वार्षिक लक्ष्य से काफी अधिक है।
जेम प्लेटफॉर्म ने पारंपरिक बाधाओं को खत्म किया है, जिससे छोटे व्यवसायों को सरकारी खरीदारी में भाग लेने का अवसर मिला है। अब, स्वच्छ ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं से लेकर टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) तक एमएसई उच्च मूल्य वाले ठेके हासिल कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जेम पर महिला उद्यमियों की भी भागीदारी बढ़ी है। 2 लाख से अधिक महिला-स्वामित्व वाले एमएसई व्यवसाय इस प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं, और उन्होंने 78,000 करोड़ रुपए से अधिक के सरकारी ऑर्डर हासिल किए हैं।
इस भागीदारी को 'वुमनिया' जैसे पहलों के जरिए बढ़ावा दिया जाता है, जो महिला उद्यमियों को प्रशिक्षण, समर्थन और सरकारी ठेकों तक पहुंच बढ़ाने में मदद करती हैं।
जेम का डिजाइन राष्ट्रीय खरीद नीतियों से मेल खाता है, जिससे खरीदार आसानी से एमएसई, महिला-स्वामित्व वाले और एससी/एसटी-स्वामित्व वाले व्यवसायों द्वारा प्रदान किए गए उत्पादों और सेवाओं की पहचान कर सकते हैं। प्लेटफॉर्म पर विशेष फिल्टर्स का उपयोग करके ये उत्पाद और सेवाएं आसानी से ढूंढी जा सकती हैं।
जेम प्लेटफॉर्म पर योग्य एमएसई को कई लाभ मिलते हैं, जैसे खरीद प्राथमिकता, कम ईएमडी (बयाना राशि), आय और अनुभव की शर्तों में ढील। इसके साथ ही, जेम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
जेम सिर्फ लेन-देन को सुगम नहीं बनाता, बल्कि सरकारी खरीदारी में पारदर्शिता और गति को बढ़ाता है, जिससे अब भारत के अलग-अलग हिस्सों के छोटे व्यवसायों को भी सरकारी ठेकों का मौका मिल रहा है। इससे सरकारी खर्च में बड़े स्तर पर भागीदारी हो रही है।
--आईएएनएस
 

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