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नोटबंदी:छोटे उद्योगों को1.28लाख करोड़ का फटका

Source : business.khaskhabar.com | Nov 26, 2016 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 effect of note ban small businesses broken hip was 128 trillion shot 129355नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार का दावा है कि नोटबंदी से कालाधन रखने वालों की जेब पर बड़ी मार पड़ी है और इस फैसले के असर के तौर पर प्रॉपर्टी के दामों में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। लेकिन एक अखबार (हिंदुस्तान) की पड़ताल में इसकी वजह से छोटे शहरों में कारोबार काफी बुरा असर पडऩे की बात सामने आई है। उधर, सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी) ने भी अनुमान जताया है कि नोटबंदी से अब तक 1 लाख 28 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है जबकि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को 65 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
अखबार के पड़ताल के मुताबिक, नोटबंदी के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रमुख छह शहरों के परंपरागत उद्योग व्यापार की कमर टूट गई है। आभूषणों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर मेरठ के सर्राफा बाजार के कारोबार में 99 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। वाराणसी में साडिय़ों का कारोबार 90 फीसदी तक घट गया है। नोटबंदी के बाद से बाजारों में ग्राहक गायब हो गए हैं। मेरठ में नील की गली, सर्राफा और सदर बाजार में कारोबार लगभग ठप सा हो गया है। यहां दो हफ्तों से सोने का भाव नहीं खुला है।
इस बार शादी का सीजन लंबा था और उम्मीद थी कि पिछले दिनों में मंदी से हुए नुकसान की भरपाई होगी लेकिन कारोबार ठप है। शादियों का मौसम होते हुए भी वाराणसी के प्रसिद्ध बनारसी साडिय़ों का उत्पादन 90 फीसदी तक गिरा है। पिछले महीने 12 करोड़ से ऊपर का कारोबार हुआ था लेकिन लखनवी चिकन के कपड़ों का कारोबार इस महीने एक करोड़ का आंकड़ा भी नहीं छू पाया है। मुरादाबाद का पीतल उद्योग में मात्र 16 फीसदी उत्पादन हो पा रहा है तो नोएडा की गारमेंट इंडस्ट्री में 25 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गई है। बिहार के भागलपुर का सिल्क कारोबार 15 दिनों में 15 करोड़ का झटका खा चुका है।
व्यापारियों का कहना है कि नोटबंदी के बाद उन्हें सबसे बड़ी दिक्कत दैनिक मजदूरों को वेतन देने में आ रही है। अब मजदूरों के खाते खुलवाए जा रहे हैं। आपूर्ति करने वाले वेंडरों को नकदी देने मे दिक्कत आ रही है, इन कंपनियों में कार्यरत नियमित और दैनिक श्रमिकों के समाने नकदी की समस्या है।
पीतल कारोबार में 84 फीसदी की गिरावट
मुरादाबाद के मशहूर पीतल कारोबार को नोटबंदी से बड़ा झटका लगा है। पैसे निकासी में दिक्कत के कारण कामगारों को ही वेतन मिल सका है। शहर के कारखाने लगभग बंद पड़े हैं और पुराने ऑर्डरों का भी माल तैयार करने के लाले पड़ गए हैं। नए आर्डर नहीं लेने से बेरोजगार मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत कारखानों के लिए कच्चा माल नहीं खरीद पाने की वजह से आ रही है। कारीगरों को काम नहीं मिल पा रहा है। करेंसी की कमी के कारण विक्रेता कच्चा माल नहीं खरीद पा रहे हैं।
लखनऊ चिकन कारीगरी का धंधा नोट बंदी से पहले हर महीने करीब 15 करोड़ की कमाई कर रहा था। अब ये धंधा लगभग चौपट हो गया है, इसमें करीब 80 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। इस मंदी से करीब 80 प्रतिशत मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। सेल्समैन अभी भी पुराने नोट लेने के लिए मजबूर हैं। थोक चिकन व्यापारी अनुभव अग्रवाल का कहना है कि नोटबंदी से 6 महीने पहले सरकार को मार्केट में छोटे नोट की खपत अधिक कर देना चाहिए थी। एटीएम से बड़े नोटों के बजाए छोटे नोट निकलना चाहिए थे।
वाराणसी साड़ी उद्योग
वाराणसी का साड़ी कारोबार भी नोटबंदी की मार झेल रहा है। इससे 50 हजार से ज्यादा बुनकर बेरोजगार हो गए हैं। शादियों का मौसम होने के बावजूद बिक्री में 70 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई है। इससे कारोबार को करीब 100 करोड़ का नुकसान बताया जा रहा है। कारोबारियों के मुताबिक, उन्हें बुनकरों को दैनिक मजदूरी देने में मुश्किल आ रही है और बैंक बियरर चेक भी नहीं ले रहे हैं। उत्तर प्रदेश बुनकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अकील अंसारी के मुताबिक छोटे बुनकर परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। उनके पास धागा खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। हथकरघे भी बंद हो गए हैं।
कभी हर महीने 60 करोड़ का व्यापर रहा भागलपुर सिल्क मार्केट अब घटकर सिर्फ 24 करोड़ पर आ गया है। नोटबंदी के बाद से उद्यमी दैनिक मजदूरों को वेतन के रुपये नहीं दे पा रहे हैं। 5000 हथकरघा में काम बंद हो गया है, उत्पादन 50 फीसदी से ज्यादा गिरा जबकि 20 हजार करीब बुनकर और कारोबार से जुड़े लोग बेकार बैठ गए हैं। बिहार बुनकर संघ कल्याण समिति के सदस्य आलिम अंसारी ने बताया कि रेशम कारोबार से जुड़े व्यवसायियों को परेशानी हो रही है। हमारे पास न तो माल खरीदने के लिए रुपए हैं और न ही मजदूरों को देने के लिए। इससे उबरने में छह महीने का समय लग जाएगा।
मेरठ सर्राफा बाजार
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि प्रकाश अग्रवाल के मुताबिक बाजारों से खुदरा ग्राहक अचानक गायब हो गए हैं। थोक कारोबार पर भी काफी बुरा असर पड़ा है और सोने के आभूषणों बिक्री में भारी गिरावट देखी जा रही है। इस बार लंबा शादियों का मौसम है। उम्मीद थी पिछले दिनों में मंदी से हुए नुकसान से दिवाली के बाद भरपाई होगी, लेकिन नोटबंदी ने कारोबार को प्रभावित कर दिया। एक अनुमान के मुताबिक कारोबार को करीब 300 करोड़ का नुकसान है।

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